आज पूरे विश्व ने आश्चर्यजनक तरक्की की है | वैज्ञानिको ने सूरज, चाँद, सितारों में छुपे प्रत्येक रहस्यों को ख़ोज निकाला है | मानव सबंधी सभी बीमारियों के निदान के सभी तरीके डाक्टरों ने खोज निकले है शिक्षा, तकनीक व विज्ञान के क्षेत्र में भी हमने छू लिया है | मकर धर्म, प्रकृति, परमात्मा के बारे में आज भी हम घोर अज्ञानता की चादर लपेटे है | जिस प्रकार एक अंधे व्यक्ति को चारो और अंधकार ही अंधकार नजर आता है | उसी प्रकार समाज की यही धार्मिक स्थिति है परमात्मा के बारे में भी हम घोर अज्ञानता में डूब जाते है | प्रकृति की ताकत को हम नजर अंदाज कर देते है जबकि सारा संसार खुली किताब की तरह हमारे सामने है | प्रकृति एक नेक दिल माता-पिता की तरह हम सब पर अपने प्रेम की वर्षा लगातार कर रही है | जब भी हम अज्ञानता वश किसी घोर संकट में फंस जाते है तो प्रकृति हमारी बुद्धि की दशा और दिशा ठीक करके हमें घोर संकट से निकलती है | जहा हमारे सगे सबंधी हमारा साथ छोड़ देते है वहा प्रकृति बुद्धि के रूप में निरंतर हमें उर्जा (शक्ति) प्रदान करती है | सूरज, चाँद, सितारे, आकाश, पहाड़, नदी व जंगल सब उस ममतामयी प्रकृति के विभिन्न अंग है | जो पल-पल हमारे जीवन में रंग भरे में लगे रहते है |
आज हम दुनिया में जितना भी विकास देख रहे है वह प्रकृति के सहयोग के बिना संभव नहीं है क्योंकि की हमारी बुद्धि प्रकृति की प्रत्येक संरचना से जुडी हुई है कोई भी कार्य करते समय यदि हम बुद्धि का सही इस्तेमाल करते है तो प्रकृति प्रत्येक सही कदम पर हमारा साथ देती है और शांति और शक्ति से मालामाल कर देती है |